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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

The underground cavern has a dome substantial previously mentioned, and hardly seen. Voices echo beautifully off the ancient stone of the walls. Devi sits in a very pool of holy spring water with a canopy over the top. A pujari guides devotees by way of the entire process of paying homage and receiving darshan at this most sacred of tantric peethams.

॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, read more आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥

षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।

Inside the pursuit of spiritual enlightenment, the journey starts Along with the awakening of spiritual consciousness. This First awakening is very important for aspirants who're at the onset in their route, guiding them to acknowledge the divine consciousness that permeates all beings.

Because the camphor is burnt into the fire right away, the sins created by the individual turn out to be absolutely free from those. There is no any as a result have to have to locate an auspicious time to start the accomplishment. But pursuing intervals are claimed to become Distinctive for this.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।

The Goddess's victories are celebrated as symbols of the final word triumph of good more than evil, reinforcing the ethical cloth in the universe.

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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